उज्जैन. हिंदू धर्म में भोग लगाने का महत्व तो सभी को पता है. लेकिन, भगवान को भोग लगाते वक्त घंटी बजाने का भी विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है. सिर्फ यही नहीं, घंटी कितनी बार बजानी है, इसका नियम भी बताया गया है, ताकि देवी-देवताओं का भोग आसानी से पहुंच सके. इसी तरह पूजा के दौरान भी घंटी बजाने का विशेष महत्व है.

भोग के लिए वायु का आह्वान
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य रवि शुक्ला ने बताया कि माना जाता है कि भगवान भोग को वायु के माध्यम (महक) से स्वीकार करते हैं. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, वायु के मुख्य रूप से पांच तत्व माने गए हैं. व्यान वायु, उड़ान वायु, समान वायु, अपान वायु और प्राण वायु. ऐसे में भोग लगाते समय इन पांचों तत्वों का स्मरण किया जाता है. पांच बार घंटी बजाई जाती है. माना जाता है कि इस प्रकार देवी-देवता आपके भोग को स्वीकार करते हैं. वहीं, भगवान को नैवेद्य अर्पित करते समय भी घंटी बजाई जाती है.

इस समय न बजाएं घंटी
बहुत से लोग मंदिर से बाहर निकलते समय घंटी बजाते हैं, उन्हें देखकर अन्य लोग भी मंदिर से बाहर निकलते समय घंटी बजाने लगते हैं, जो गलत है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, मंदिर से बाहर निकलते समय घंटी नहीं बजानी चाहिए. क्योंकि ऐसा करने से मंदिर की सकारात्मक ऊर्जा को आप वहीं पर छोड़ देते हैं, इसलिए मंदिर से बाहर निकलते समय घंटी नहीं बजानी चाहिए. बल्कि, जब मंदिर में प्रवेश करें या भगवान के सामने पहुंचे तो घंटी जरूर बजाएं.

मंदिर में घंटे का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मंदिर में लगे घंटे को लेकर मान्यता है कि जब सृष्टि का आरंभ हुआ था, तब जो स्वर गूंजा थे. इसमें से एक घंटे की ध्वनि थी. इसके अलावा यह भी कहा गया कि घंटी बजाने से ओंकार मंत्र का उच्चारण पूर्ण होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, घंटी बजाने से मूर्तियों में चैतन्यता जागृत होती है. पूजा-अर्चना का प्रभाव बढ़ता है.

शरीर को मिलते हैं लाभ
घंटी बजाने का न केवल धार्मिक महत्व है, बल्कि यह शारीरिक दृष्टि से भी लाभकारी है. घंटी बजाने से उत्पन्न होने वाली ध्वनि व्यक्ति के शरीर के सात चक्रों को सक्रिय कर देती है. साथ ही घंटी की आवाज से मस्तिष्क को भी शांति का अनुभव होता है. यह ध्वनि शरीर के अंदर सभी नकारात्मक विचारों और बुराइयों को दूर करने का काम करती है.