भोपाल । कांग्रेस सरकार की कर्ज माफी योजना में 2 लाख रुपये तक किसानों के ऋण माफ किए गए थे। पहले चरण में कमलनाथ सरकार ने 6000 करोड रुपए बैंकों को देकर  21 लाख किसानों के कर्ज माफ कर दिए थे। इसमें सरकार ने 6000 करोड रुपए खजाने से दिए थे। दूसरे   चरण में 7 लाख  किसानों के 4500 करोड़ रुपए के कर्ज माफ होने थे। कांग्रेस सरकार केवल  दो लाख किसानों के कर्ज माफ कर पाई थी। इसी बीच कमलनाथ की सरकार गिर गई। उसके बाद जो नई सरकार शिवराज सिंह के नेतृत्व में आई उसने किसानों के ऋण माफ नहीं किए। जिसके कारण प्रदेश के 23 लाख  किसान 2020 में डिफाल्टर की श्रेणी में आ गए थे। वर्तमान में यह संख्या बढ़कर 33 लाख हो गई है। मध्य प्रदेश के लगभग 70 फ़ीसदी किसान डिफाल्टर की श्रेणी में आ गए हैं। एनपीए में 20 हजार करोड़ रुपए की राशि बैंकों की फंसी हुई है। इसमें मूल से कई गुना ज्यादा ब्याज और दंड ब्याज है। डिफाल्टर होने के कारण बैंक और सहकारी समितियों द्वारा सामान्य दर पर ब्याज, जुर्माना और चक्रवृद्धि ब्याज लगाया गया है। बैंकों का कर्ज भी साहूकारी कर्ज को मात कर रहा है। जिसके कारण किसान लाखों की संख्या में डिफाल्टर हैं।

किसानों को रियायती ब्याज दर का लाभ नहीं
 डिफाल्टर होने पर किसानों को रियायती ब्याज दर का लाभ नहीं मिलता है। जिसके कारण डिफाल्टर किसान को नया ऋण भी नहीं मिल पाता है।

 रियायती  ब्याज का लाभ बड़ी जोत वालों को
 इस वर्ष सरकार ने 1।80 लाख करोड़ रुपए कर्ज बांटने का लक्ष्य किसानों के लिए रखा है।70 फ़ीसदी किसान डिफाल्टर हैं। बड़ी जोत वाले किसान रियायती ब्याज दर का बैंक कर्ज का लाभ उठाते हैं।बड़े किसानों को बैंक कर्ज की जरूरत भी नहीं होती है। फिर भी ऋण लेकर वह ब्याज में पैसा चलाते हैं। अंतिम दिनों में दो-तीन दिन के लिए बैंक खाते में पैसा जमा कर देते हैं। 2 दिन बाद फिर बैंक से ऋण ले लेते हैं। वहीं लघु और सीमांत किसान समय पर कर्ज नहीं चुकाकर यदि डिफाल्टर हो जाता है, तो किसान से  ब्याज, चक्रवर्ती ब्याज, दंड ब्याज की मार से परेशान होकर किसान हताश हो जाता है। कर्ज के बोझ से दब कर किसानों की आत्महत्या की घटनाएं भी बड़ी तेजी के साथ पिछले वर्षों में बढ़ी हैं। सरकार ने जो लक्ष्य बैंकों से कर्ज लेने के लिए बनाया है। उसका 50 फ़ीसदी कर्ज भी बैंक नहीं बांट पाएंगे। क्योंकि 70 फ़ीसदी किसान डिफॉल्टर की श्रेणी में है। उन्हें कोई नया ऋण नहीं मिलेगा।