भोपाल । खाद्य सुरक्षा विभाग की तरफ से लगातार की जा रही सैंपलिंग में पता चला है कि अब पहले से ज्यादा मिलावट हो रही है। सबसे ज्यादा पनीर और खुले मसालों के सैंम्पल फेल हुए हैं। पनीर में फैट की कमी तो मसालों को चटख रंग करने के लिए इसमें सूडान की डाई व अन्य रंग की मिलावट सामने आई है। शहर में रोजाना अलग-अलग हाट बाजार, नए और पुराने शहर में करीब दो क्विंटल मसालों की खपत है, ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जो लोग खुले मसाले उपयोग कर रहे हैं वह क्या खा रहे हैं। इस बार की रिपोर्ट में जो 66 सैंपल फेल हुए हैं उनमें सबसे ज्यादा 10 मसालों के हैं। पिछले वर्ष 545 सैम्पल में ये आंकड़ा 47 का था। सौंफ में हरे रंग की मिलावट तो लाल मिर्च में सूडान की डाई की मिलावट है। जिसका लगातार सेवन करने से आंतों में परेशानी हो सकती है।  मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी देवेंद्र दुबे का कहना है कि जनवरी से लेकर जुलाई मध्य तक करीब 480 सैंपल लिए गए हैं। इसमें से 260 की रिपोर्ट प्राप्त हो गई है। 66 सैंम्पल फेल हुए हैं। सबसे ज्यादा मसाले और पनीर के हैं। शहर में मसालों के छोटे बड़े लगभग 600 से ज्यादा कारोबारी हैं। पुराना शहर, गोविंदपुरा, इंडस्ट्रियल एरिया में भी पैक्ड मसालों का बड़ा काम है। लेकिन खुले मसाले की सप्लाई सबसे ज्यादा पुराने शहर की फैक्ट्री से होती है। खाद्य विभाग के अनुसार शहर में 150 के लगभग दूध डेयरियों पर पनीर खुला बिकता है। इसके अलावा 200 से ज्यादा डिपार्टमेंटल स्टोर पर पनीर की बिक्री होती है। सबसे ज्यादा खपत ग्वालियर की तरफ से आ रहे पनीर की होती है। अधिकारियों का कहना है कि दूध में से फैट निकालकर पनीर बनाने पर उसमें फैट की मात्रा कम हो जाती है तो सैंपल फेल हो जाता है, पनीर के आठ सैंपल फेल हुए हैं। हल्दी में पीला और मिर्च में गहरा लाल अखाद्य कलर मिलाने से मसालों का रंग तो गहरा हो जाता है, लेकिन इन मसालों का सेवन करने से पेट, गुर्दे, लिवर की बीमारी के साथ कैंसर भी होता है। डॉक्टर ऐसे मसालों का उपयोग करने से मना करते हैं।