भोपाल।  राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की रिक्त सीट को लेकर मप्र में सियासी सरगर्मी तेज रफ्तार में हैं। आगामी 3 सितंबर को मप्र की एकमात्र सीट पर राज्यसभा में चुनाव होगा। इस सीट के लिए दबंगों (पूर्व केंद्रीय मंत्रियों, प्रदेश के पूर्व मंत्रियों, पूर्व सांसद आदि)में दावेदारी की जंग छिड़ी हुई है। इससे प्रदेश में एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति बन गई है। जानकारी के अनुसार प्रदेश की एक मात्र राज्यसभा सीट के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी और सुरेश पचौरी, प्रदेश के पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा और जयमान सिंह पवैया, पूर्व सांसदी केपी यादव दावेदार बताए जा रहे हैं। राज्यसभा चुनाव के लिए 7 अगस्त को अधिसूचना जारी कर दी गई थी। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने बताया कि राज्यसभा की एक सीट के चुनाव के लिए प्रदेश में आज से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है। नामांकन जमा करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त है। उन्होंने बताया कि 22 अगस्त को नाम निर्देशन पत्रों की संवीक्षा की जाएगी।
सियासी गलियारों में चर्चा है कि गुना संसदीय क्षेत्र से पूर्व सांसद केपी सिंह राज्यसभा में राजनीतिक पुनर्वास की तैयारी में जुटे हैं। कतार में ऐसे भी नेताओं के नाम शामिल हैं जो कांग्रेस को छोड़ भाजपा में शामिल हुए तो भाजपा के वरिष्ट नेताओं की आस भी इस एक सीट पर लगी हुई है। प्रदेश के बाहर के नेताओं के नाम भी भाजपा मुख्यालय की चर्चाओं में हैं। भाजपा के नेता दिल्ली से लेकर प्रदेश संगठन और संघ कार्यालय में समीकरणों को साधने में जुटे हैं। केंद्रीय गृह और मप्र भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार अमित शाह के बयान के कारण केपी सिंह की दावेदारी पर ज्यादा जोर है। शाह ने बीते चुनावी प्रचार के दौरान कहा था कि केपी यादव की चिंता पार्टी करेगी और इस क्षेत्र को दो प्रतिनिधि मिलेंगे। भाजपा सूत्रों का कहना है कि इस एक सीट के माध्यम से भाजपा जातीय समीकरण साधने की कोशिश कर सकती है। इससे पहले फरवरी 24 में भाजपा की ओर से 4 सदस्य चुनाव जीतकर राज्यसभा पहुंच चुके हैं। ये हैं उमेश महाराज, माया नारोलिया, बंशीलाल गुर्जर और एल मुरुगन। मुरुगन केंद्र में मंत्री हैं और बाहरी होने के बावजूद पार्टी ने इन्हें मप्र से रिपीट किया था। सभी पिछड़ा एवं अजा वर्ग से आते हैं। इसलिए जातीय समीकरण के लिहाज से सामान्य वर्ग का दावा ज्यादा मजबूत है। पार्टी नेतृत्व ने इस आधार पर निर्णय लिया तो पिछड़े वर्ग के दावेदारों का पत्ता कट सकता है।

दो पूर्व केंद्रीय मंत्री दौड़ में
गौरतलब है कि देश के विभिन्न राज्यों की 12 राज्यसभा सीटों के साथ मप्र की एक सीट के लिए भी चुनाव हो रहा है। यह सीट केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे के बाद खाली हुई है। सिंधिया गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से सांसद चुने जा चुके हैं। राज्यसभा की इस एक सीट के लिए भाजपा से आधा दर्जन नेता दावेदार हैं। सबसे चौंकाने वाला नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी का है। स्मृति अमेठी से लोकसभा का चुनाव हार चुकी हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा नेतृत्व उन्हें राज्यसभा के जरिए मुख्य धारा में फिर लाना चाहता है। इसलिए उन्हें मप्र से राज्यसभा का उम्मीदवार घोषित किया जा सकता है। हालांकि पार्टी की ओर से इस खबर की पुष्टि नहीं हुई है। स्मृति इरानी के अलावा पूर्व सांसद केपी सिंह यादव और कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में आए वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी को राज्यसभा के लिए गंभीर दावेदार माना जा रहा है। गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से भाजपा ने केपी का टिकट काट कर सिंधिया को उम्मीदवार बनाया था। केपी को राज्यसभा के जरिए सांसद बनाने का आश्वासन दिया गया था। अमित शाह प्रचार में आए थे तो ऐलान किया था कि भविष्य में हम केपी सिंह यादव की सेवाएं केंद्र की राजनीति में ही लेंगे। इसे भी राज्यसमा के लिए संकेत माना गया था। दूसरी तरफ खबर है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी को भी लोकसमा चुनाव के दौरान राज्यसभा भेजने की शर्त पर भाजपा में लाया गया था। पचौरी पहले भी कांग्रेस की ओर से चार बार राज्यसमा के सदस्य रह चुके हैं। भाजपा नेतृत्व केपी को दिया आश्वासन पूरा करता है या पचौरी की लाटरी खुलती है, इस पर सभी की नजर है।

इनकी भी मजबूत दावेदारी
केंद्रीय मंत्री सिंधिया चंबल-ग्वालियर अंचल से आते हैं। उनके इस्तीफे से सीट खाली हुई है। इसलिए केपी सिंह यादव के अलावा इस अंचल के पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा और जयमान सिंह पवैया भी प्रबल दावेदार हैं। नरोत्तम इस बार दतिया से विधानसभा का चुनाव हार गए थे। बावजूद इसके उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेताओं को तोडकऱ भाजपा में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अलावा भी पार्टी नेतृत्व उनसे कोई न कोई काम लेता रहता है। वे भाजपा के ताकतवर नेता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नजदीक माने जाते हैं। मिश्रा राज्यसभा पहुंचने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। दूसरी तरफ जयभान सिंह पवैया भी भाजपा के चर्चित वरिष्ठ नेता हैं। वे इस अंचल का हिंदू चेहरा भी हैं। वे भी मुख्य दावेदार बने हुए हैं। उधर, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी और कांतदेव सिंह भी राज्यसभा के टिकट के दावेदार हैं। भिंड जिले की मेंहगांव से मुकेश का टिकट काट भाजपा ने राकेश शुक्ला को टिकट दिया था। साथ ही राकेश शुक्ला को मंत्री पद से भी नवाजा गया। सिंगरौली जिले से कांतदेव संगठन में भाजपा में कई पदों पर रहे। अप्रैल में भी उनका नाम राज्यसभा के लिए चला था। लेकिन, सपना हकीकत में तब्दील नहीं हुआ। पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा का नाम भी प्रबल दावेदारों में हैं। कांग्रेस में तोडफ़ोड़ कर भाजपा में शामिल करने में इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सूत्रों की मानें तो हैदराबाद लोकसभा से असदुद्दीन ओवैसी से चुनाव हारी हिंदूवादी नेत्री माधवी लता और महाराष्ट्र के राष्ट्रीय मंत्री विनोद तावड़े को एमपी से राज्य सभा में एंट्री को लेकर मंथन जारी है।