लखनऊ। लोकसभा चुनाव के बाद अब कांग्रेस यूपी में अपनी स्थिति को और मजबूत करने में जुट गयी है। पार्टी ने यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में से चार सीटों पर दावेदारी तेज कर दी है। हालांकि, कांग्रेस जल्द ही होने वाले विधानसभा उपचुनावों में से पांच सीटों पर समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस ने सभी 10 सीटों के लिए वरिष्ठ नेताओं को पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिया है। हालांकि, समाजवादी पार्टी की ओर से कांग्रेस को तीन सीटें तक देने की उम्मीद की जा रही है। सपा की ओर से भी सभी सीटों पर पार्टी को मजबूत बनाने का प्रयास किया जा रहा है। उनका मुकाबला सीएम योगी आदित्यनाथ की अगुआई में भारतीय जनता पार्टी से होना है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि हमारा लक्ष्य पांच सीटें हैं, जो 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा और उसके सहयोगियों ने जीती थीं। सपा ने मीरापुर पर दावा किया है, क्योंकि उस समय आरएलडी ने सपा के साथ गठबंधन करके वह सीट जीती थी। अजय राय ने कहा कि इसके बाद भी हम कम से कम चार सीटों पर चुनाव लड़ने की उम्मीद कर रहे हैं। इससे पहले, कांग्रेस 10 निर्वाचन क्षेत्रों में से कम से कम दो से तीन सीटों पर जोर दे रही थी। यूपी कांग्रेस की ओर से जिला और क्षेत्रीय स्तर पर अपने कैडर के प्रदर्शन की समीक्षा होनी है। इसके लिए राज्य स्तर पर कोशिश हो रही है। इसको देखते हुए कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीटों को लेकर सौदेबाजी का दौर जारी है। प्रयागराज में पिछले दिनों कांग्रेस के साथ बैठक हुई। वहां भी एक सीट पर उप चुनाव होना है। सोमवार को सपा ने छह सीटों पर पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। अजय राय इस मामले में कहते हैं कि हमने सीटों को लेकर राज्य इकाई का पक्ष रखा है। आगे फैसला वरिष्ठ नेतृत्व को करना है।
विदित हो कि यूपी में दस विधानसभा उपचुनाव होना है। इनमें से नौ सीटें विधायकों के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई हैं। वहीं, कानपुर के शीशामऊ विधानसभा सीट से विधायक इरफान सोलंकी को एक मामले में दोषी ठहराए जाने के कारण खाली हुई सीट पर भी उपचुनाव होगा। इन 10 सीटों में से पांच पर 2022 के विधानसभा चुनावों में सपा ने जीत हासिल की, तीन पर भाजपा ने और एक पर उसकी तत्कालीन और वर्तमान सहयोगी निषाद पार्टी ने जीत हासिल की। मीरापुर दसवीं सीट थी, जिसे आरएलडी ने सपा के साथ मिलकर जीता था। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में यूपी में भाजपा की सीटों में आश्चर्यजनक गिरावट देखने को मिली है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और सपा-कांग्रेस दोनों के लिए उपचुनाव में बहुत कुछ दांव पर लगा है।