नई दिल्ली । दिग्गज निशानेबाजी कोच जसपाल राणा ने भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) की चयन नीतियों की आलोचना की है। राणा ने कहा कि अंतिम समय में चयन में बदलाव करने की महासंघ की नीति  से पहले भी कई प्रतिभाओं को नुकसान हुआ है और अगर यही चलता रहा तो आगे भी होगा।
राणा ने कहा, ‘महासंघ की चयन नीति हर छह महीने में बदलती है। मैंने खेल मंत्री से मुलाकात करके इस पर चिन्ता भी जतायी है। अब उन्हें इस मामले में फैसला लेना है। अगर सभी कुछ ठीक रहा तो निशानेबाजों के प्रदर्शन में फर्क नजर आने लगेगा।
उन्होंने कहा कि गलत नीतियों के चलते ही टोक्यो ओलंपिक खेलों में 10 मीटर एयर पिस्टल के फाइनल में जगह बनाने वाले एकमात्र खिलाड़ी सौरभ चौधरी और एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता पिस्टल निशानेबाज जीतू राय गुमनामी में चले गये। आज कोई इनके बारे में कोई बात नहीं कर रहा है। इसके अलावा पेरिस ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहे निशानेबाज अर्जुन बाबुता के बारे में भी किसी के पास बात करने का समय नहीं है।
महासंघ ने रियो ओलंपिक के बाद टोक्यो ओलंपिक में भी पदक नहीं जीतने के बाद 2021 में अपने चयन मानदंडों में बदलाव करते हुए कोटा हासिल करने वाले निशानेबाजों को मिलने वाले बोनस अंकों में भारी कटौती की और लंबे अंतराल के बाद टीम के चयन के लिए ट्रायल्स की शुरुआत की। राणा ने कहा कि वह बदलाव के विरोधी नहीं हैं पर ओलंपिक के लिए निरंतरता बनाए रखना ज्यादा जरूरी होता है।
उन्होंने कहा, ‘अभी हमारे पास ओलंपिक और विश्व कप के पदक विजेताओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोई तंत्र नहीं है। हम ओलंपिक पदक विजेताओं को लंबे समय तक नहीं देखते क्योंकि हमारे पास उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोई प्रणाली नहीं है।