भोपाल । प्रदेश के यात्री वाहनों में व्हीकल लोकेशन ट्रेकिंग डिवाइस (वीएलटीडी) व आपातकालीन बटन (पेनिक बटन) लगाने के लिए चार कंपनियां मानकों पर खरी उतरी हैं। चारों कंपनियों के दस्तावेज जांच के बाद डिवाइस का तकनीकी परीक्षण किया गया था। वीएलटीडी के परीक्षण में वाहन की गति, मार्ग व कहां रुका, यह सब स्टेट्स स्क्रीन पर लाइव दिख रहा था। इस महीने के अंत तक कंपनियां डिवाइस लगाने के लिए अधिकृत हो सकती हैं, सितंबर में दोनों डिवाइस वाहनों में लगना शुरू हो जाएंगी। बस, कैब, टैक्सी में महिला सुरक्षा को लेकर भोपाल में निर्भया फंड के तहत कंट्रोल कमांड सेंटर बनाया गया है। यहां से यात्री वाहनों की आनलाइन निगरानी की जानी है। इसके लिए वाहनों में वीएलटीडी व पेनिक बटन लगाना अनिवार्य किया है। एक अगस्त से यह लागू भी हो चुका है, लेकिन डिवाइस लगाने वाली कंपनियां निर्धारित नहीं थीं। इस कारण डिवाइस नहीं लग सके। परिवहन विभाग ने आवेदन मांगे थे, जिसमें 13 कंपनियों ने आवेदन किए थे। इनमें से चार कंपनियां एक्यूट कम्युनिकेशन सर्विस प्रा.लि., आरडीएम इंटरप्राइजेज प्रा.लि., जीआरएल इंजीनियरिंग प्रा.लि. एवं इकोगस इम्पैक्स प्रा.लि. मानकों को पर खरा उतरी हैं। शेष नौ कंपनियां संभाग स्तर सर्विस सेंटर खोलने पर सहमत नहीं हैं।

हर संभाग में खोलना होगा सर्विस सेंटर
जिन कंपनियों को डिवाइस लगाने का कार्य दिया जाएगा, उन्हें हर संभाग में अपना सर्विस सेंटर खोलना होगा। ताकि डिवाइस में दिक्कत आने पर आपरेटर को सर्विस मिल सके। यदि कंपनी कोई गड़बड़ी करती है तो उसका करार निरस्त हो जाता है। जिन वाहनों में डिवाइस लग चुके हैं, उनको सर्विस देने के लिए सेंटर संचालित रखने होंगे। पेनिक बटन व वीएलटीडी लगने के बाद वाहन अलग रूट पर नहीं चल सकेगा। जो उसका रूट निर्धारित होगा, उस पर ही जाना होगा। दिसंबर 2018 के पहले के वाहनों में यह दोनों डिवाइस लगने हैं। 2018 के बाद खरीदे गए वाहनों में यह डिवाइस कंपनी से लगकर आ रहे हैं। 13 आवेदन आए थे, जिसमें चार कंपनियों ने मानकों पूरा किया है। नौ कंपनियों की स्क्रूटनी की जा रही है, जिनके दस्तावेज अधूरे हैं, उनकी पूर्ति के लिए कहा गया है। इस महीने के अंत में बैठक बुलाई गई है, दस्तावेजों की पूर्ति होने के बाद आगे की कार्रवाई का जाएगी।
अरविंद सक्सेना, अपर आयुक्त परिवहन विभाग