लखनऊ। यमुना को प्रदूषित किए जाने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने दिल्ली जल बोर्ड और नोएडा प्राधिकरण को राहत देने से इनकार कर दिया है। एनजीटी ने बीते 3 अगस्त के आदेश की समीक्षा करने से इनकार कर दिया है, जिसमें नोएडा प्राधिकरण और दिल्ली जल बोर्ड पर 150 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था। एनजीटी प्रमुख जस्टिस ए.के. गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने सोमवार को नोएडा प्राधिकरण और दिल्ली जल बोर्ड की अर्जी को खारिज कर दिया। पीठ ने कहा कि सीपीसीबी और डीपीसीसी की रिपोर्ट पर गंभीरता से विचार करने के बाद जुर्माना लगाने का आदेश पारित किया गया। नोएडा प्राधिकरण की ओर से अतरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने जुर्माना माफ करने की मांग करते हुए कहा था कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए कार्ययोजना प्रस्तावित है। दूसरी तरफ दिल्ली जल बोर्ड की ओर से कहा गया था कि इस मामले में वह पक्षकार नहीं थे, लिहाजा उसका पक्ष सुना नहीं गया है। एनजीटी ने अपने आदेश में नोएडा प्राधिकरण को 100 करोड़ रुपये और दिल्ली जल बोर्ड को 50 करोड़ रुपये केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के पास जमा करने का आदेश दिया था। इन पैसे का इस्तेमाल पर्यावरण को हुए नुकसान की भरपाई पर खर्च किया जाएगा। एनजीटी ने उत्तर प्रदेश और दिल्ली के मुख्य सचिव को मामले को गंभीरता से लेने और अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही, इस दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान कर कार्रवाई करने को कहा है। एनजीटी ने सीपीसीबी, डीपीसीसी और यूपीपीसीसी के अध्यक्ष को एक संयुक्त समिति बनाने का निर्देश दिया था।