भोपाल । राजधानी के आठ नर्सिंग कालेजों सहित प्रदेश भर के कुल  93 नर्सिंग कालेजों की मान्यता निलंबित कर दी गई है। यह कार्यवाही मप्र नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने कालेजों द्वारा जरुरी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराने के कारण की है। इन कालेजों को मान्यता नवीनीकरण के लिए जरूरी दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए कहा गया था। इसमें छात्रावास, लैब के फोटो, शैक्षणिक भवन, संबद्ध अस्पताल के सभी दस्तावेज और फोटो उपलब्ध कराना था। काउंसिल ने उच्च न्यायालय जबलपुर में दायर जनहित याचिका में नौ मई को पारित आदेश के परिप्रेक्ष्य में यह दस्तावेज मांगे थे। 21 अगस्त को हाईकोर्ट में फिर इस मामले की सुनवाई थी। इसमें कोर्ट ने कहा था कि जिन कालेजों ने दस्तावेज नहीं दिए हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। ऐसे में नर्सिंग काउंसिल की रजिस्ट्रार सुनीता सिंजू ने इन कालेजों की मान्यता 22 अगस्त को निलंबित कर दी । अब दस्तावेज देने पर इनकी मान्यता बहाल हो सकती है। उधर,याचिकाकर्ता ला स्टूडेंट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विशाल बघेल ने फोटो समेत कोर्ट में सबूत दिए कि यह कालेज मापदंडों पर खरे नहीं हैं। इसके बाद कोर्ट ने रजिस्ट्रार को निलंबित करने को कहा। उनकी जगह जबलुपर मेडिकल कालेज में दंत चिकित्सा विभाग के सह प्राध्यापक डा. योगश शर्मा को नर्सिंग काउंसिल में प्रशासक बनाया गया है। डा. शर्मा प्रतिनियुक्ति पर जीएमसी में पदस्थ हैं। इस बारे में मप्र शासन के  चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग का कहना है कि नर्सिंग कालेजों में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं होने दी जाएगी। कुछ कालेजों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई भी की गई है। विद्यार्थियों के साथ भी किसी तरह से अन्याय नहीं होने देंगे।बता दें कि 2020-21 में खुलने वाले कालेजों में 94 की मान्यता हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका के बाद इसी साल समाप्त कर दी गई थी। 23 अगस्त को नर्सिंग कालेज की मान्यता में गड़बड़ियों का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने नर्सेंस रजिस्ट्रेशन काउंसिल की रजिस्ट्रार सुनीता शिंजू को निलंबित करने को कहा था। रजिस्ट्रार ने अपने शपथ पत्र में कहा था कि इस साल खोले गए सभी 49 कालेजों को मापदंड पूरा करने के बाद ही मान्यता दी गई है।