भोपाल  । पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती अब दो अक्टूबर से शराबबंदी के लिए जनजागरण अभियान चलाएंगी। इसी दिन कर्फ्यूवाली माता मंदिर से काली माता मंदिर तक रैली निकाली जाएगी। इस रैली शामिल होने के लिए करीब पांच सौ महिलाएं भोपाल आएंगी। मालूम हो कि भाजपा की फायरब्रांड नेत्री सुश्री उमा भारती ने पिछले महीने जुलाई में कहा था कि शराबबंदी के पक्ष में प्रदेशभर की महिलाएं भोपाल में इकठ्ठी होंगी। इसे धन्यवाद आयोजन में बदलना अब शिवराज जी के हाथ में है। शुक्रवार को अपने सरकारी आवास पर बुलाई पत्रकारवार्ता में उमा शराबबंदी को लेकर सरकार के प्रयासों से संतुष्ट नजर आईं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की वर्तमान शराब नीति जनहितकारी नहीं है। दिल्ली के नेताओं से लेकर शिवराज जी से लगातार बात हुई है। शिवराज जी ने मीडिया में आकर कहा कि वर्तमान नीति में सुधार करेंगे। अगले वर्ष की नीति में हमारे सुझावों को शामिल करेंगे। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री पहले से ही कह रहे हैं कि यह जनजागरण का विषय है। इसे लेकर वे उमा भारती से मिले भी थे। उमा ने कहा कि पूरी तरह से शराबबंदी की बात मैं पहले से ही नहीं कह रही थी। जब मैंने ही नहीं की, तो दूसरों को कैसे कह सकती हूं। अपने कार्यकाल में मैंने कंट्रोल कर लिया था। इससे राजस्व कम हुआ था। उन्होंने कहा कि शराबबंदी को लेकर राष्ट्रीय पार्टियों को प्रयास करने चाहिए। जिस पार्टी की जिस राज्य में सरकार है, वह वहां नीति बनाए। यह केंद्र का विषय नहीं है। इसलिए केंद्र नीति नहीं बना सकता है। ब्राह्मणों को लेकर विवादित टिप्पणी करने वाले प्रीतम लोधी को लेकर उमा ने कहा कि असंयमित भाषा का प्रयोग करके प्रीतम ने बहुत बड़ी गलती की। प्रीतम ने बताया कि वीडी शर्मा से बात की, माफी मांगी। फिर भी पार्टी ने कार्यवाही की। तब मैंने समझाया कि पार्टी ने नुपुर शर्मा पर भी कार्यवाही की है। ये मत कहो कि इसमें कोई भेदभाव हुआ है। जाति और व्यक्ति विशेष को गाली देने की मैं निंदा करती हूं। उमा ने कहा कि मैं शुरू से ही शिवराज जी को कह रही हूं कि सत्ता, प्रशासन और शासन में जातिगत व क्षेत्रीय संतुलन बिगड़ा हुआ है। खासकर ग्वालियर, सागर, रीवा संभाग में। मंत्रिमंडल के दूसरे विस्तार के समय मैं लखनऊ में सीबीआई कोर्ट में थी। मैंने टीवी पर ब्रेकिंग देखी, तुरंत शिवराज जी से बात की। मैंने कहा टीवी पर शपथ लेने वाले मंत्रियों के जो नाम आ रहे हैं, उनमें रीवा-ग्वालियर संभाग छूट रहा है। क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण बिगड़ा हुआ है। यह ठीक नहीं। इससे कभी भी असंतोष भड़क सकता है। उन्होंने जो उत्तर दिया, वह मैं नहीं दूंगी। क्योंकि यह हमारी प्राइवेट बात थी लेकिन मैंने यह इशारा पहले कर दिया था कि सत्ता, शासन, प्रशासन और भागीदारी में असमानता नहीं दिखनी चाहिए। एससी-एसटी, ओबीसी को मिले आरक्षणउमा ने कहा कि एससी-एसटी, ओबीसी को निजी क्षेत्र में आरक्षण्ा मिलना चाहिए और इसके साथ 10 प्रतिशत सवर्णों को भी आर्थिक आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए। उन्हें पिछड़ा वर्ग ही मानना होगा। वे कहने के ही सवर्ण हैं।