नई दिल्ली । सरकार ने मसालों की गुणवत्ता के बारे में शिकायतें आने के बाद सख्त रवैया अपना लिया है। एक आला अधिकारी ने बताया कि अगर मसाला बनाने वाली कंपनी डिब्बाबंद मसाला उत्पादों में कीटनाशकों की मात्रा निर्धारित सीमा से अधिक रखी तो सरकार उसका लाइसेंद रद्द ‎किया जा सकता है। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने देश भर से मसालों के 1,500 से अधिक नमूने एकत्र किए हैं। एफएसएसएआई फिलहाल इन नमूनों की जांच कर इनमें रसायन, सूक्ष्मजीव, माइक्रोटॉक्सिन्स, सूडान डाई और एथिलीन ऑक्साइड (ईटीओ) सहित 234 कीटनाशकों की मात्रा का पता लगाने में जुट गई है। देश भर में एफएसएसएआई के 1,500 से अधिक परीक्षण केंद्र हैं। अधिकारी ने बताया कि इन नमूनों की जांच रिपोर्ट 15 दिनों में आ जाएगी। खाद्य नियामक ने बाजार में उपलब्ध मसालों की गुणवत्ता परखने के लिए 25 अप्रैल को पूरे देश में मुहिम शुरू की है। इससे पहले हॉन्ग कॉन्ग में सेंटर फॉर फूड सेफ्टी और सिंगापुर फूड एजेंसी ने भारत के दो मसाला ब्रांडों एमडीएच और एवरेस्ट स्पाइसेस के मसाला उत्पादों में ईटीओ मौजूद होने का दावा किया था। इन शिकायतों के बाद एफएसएसएआई ने यह कदम उठाया है। सूत्रों ने कहा कि नियामक ने मसाला बनाने वाली सभी कंपनियों से नमूने एकत्र किए हैं। नियामक बाजार में उपलब्ध शिशु आहार के नमूने की भी जांच कर रहा है। सरकारी अधिकारी ने कहा कि इस जांच के नतीजे भी अगले 15 दिनों में मिल जाएंगे। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय और राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा आयोग (एनसीपीसीआर) ने एफएसएसएआई को बाजार में मिल रहे शिशु आहार में चीनी की मात्रा जांचने के निर्देश दिए हैं। स्विट्जरलैंड की एक गैर-सरकारी संस्था (एनजीओ) पब्लिक आई की एक रिपोर्ट आने के बाद सरकार ने यह फैसला ‎लिया है।