नई दिल्ली । एक विचाराधीन कैदी को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में फर्जी पेपर लगाकर जमानत मांगना भारी पड़ गया है। उस शख्स ने जेल से जमानत पर छूटने के लिए पत्नी की सर्जरी के जाली दस्तावेज तो गढ़वा लिए, पर किसी ऐसे शख्स से जिसे न तो ढंग से अंग्रेजी आती थी और न ही वह मेडिकल सर्जरी के लिए आमतौर पर अपनाई जाने वाली डॉक्टरी प्रक्रिया के बारे में जानकारी रखता था। लिहाजा जांच में सर्जरी की सलाह से जुड़े दस्तावेज फर्जी निकले और इसीलिए अदालत ने न केवल आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया, बल्कि पुलिस को मामले की जांच का निर्देश भी जारी किया। वेकेशन जज (एएसजे) पवन कुमार ने धर्मवीर उर्फ कालू की अर्जी खारिज की। इस मामले में अदालत ने कहा कि संबंधित डॉक्टर की रिपोर्ट से दस्तावेजों की वास्तविकता को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। पुलिस से इसकी जांच करानी होगी। जांच अधिकारी द्वारा दाखिल संबंधित डॉक्टर की रिपोर्ट के मुताबिक, वेरिफिकेशन के लिए भेजे गए दस्तावेज जाली हैं और उन दस्तावेजों पर मौजूद दस्तखत भी फर्जी पाए गए हैं।
गौरतलब है ‎कि आवेदक स्पेशल सेल पुलिस थाने द्वारा 2020 में दर्ज हत्या के एक मामले में आरोपी है। उसने एडवोकेट शैलेंद्र बब्बर के जरिए इस आधार पर जमानत के लिए अर्जी दी कि उसकी पत्नी की 24 जून को सर्जरी है। अदालत ने पुलिस को दस्तावेजों को वेरिफाई कराने का निर्देश दिया था, जिस पर एडिशनल पीपी(पब्लिक प्रॉसिक्यूटर) विकास के जरिए आईओ की उक्त रिपोर्ट दाखिल की गई। बहरहाल, अदालत ने इस मामले को तिलक मार्ग थाने के एसएचओ के पास भिजवाया है और उन्हें कानून के मुताबिक इसमें उचित कार्रवाई करने के लिए कहा है।